Dhanak is a social organization that has been working on issues concerning the “Right to Choose” in marriage and relationship, since 2005. The majority of our members residing in different parts of India are married couples in mixed marriages who are married to a person from a different faith, or caste.

The focus of Dhanak is to facilitate and support couples or individuals who face various socio-legal challenges before, or after their alliance. Our objective is to build a gender-just society on the grounds of Right to Choose.

We understand that religion and caste are major deterrents against the Right to Choose. It further gets compounded by poor state rules and laws related to marriage, and poor law enforcement.

The strongest opposition to mixed marriages comes from the parents of a couple. Parents may go to any extent to stop their adult children from marrying a person of their choice. They often resort to physical and emotional violence by confining their daughter in the house. This successively deprives her of her phone, computer, job, and education.

Clearly, this is a case of domestic violence, but due to social conditioning and the non-questioning approach towards elders, the female in the relationship prefers to remain silent. She rather looks towards an amicable relationship with her parents. The majority of requests received by Dhanak from females are related to seeking help to talk to her parents and convince them for her alliance with her male friend.

धनक एक सामाजिक संगठन है जो विवाह या रिश्तों में “चयन के अधिकार” के विषय पर 2005 से कार्य करती है. धनक के ज़्यादातर साथी देश के अलग-अलग जगहों पर रहते हैं और खुद मिश्र विवाह में हैं. बहुत से साथी अंतर-जातीय या धार्मिक रिश्ते में हैं.

धनक मुख्यतः उन जोड़ों या व्यक्तियों की मदद करती है जिन्हें विभिन्न सामाजिक या कानूनी कारणों से एक साथ आने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हमारा उद्देश्य है की चयन के अधिकार के ज़रिये लैंगिक समानता पर आधारित समाज का निर्माण किया जा सके.

हमारा यह मानना है की जाति और धर्म, चयन के अधिकार के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियाँ है. यह और भी बड़ी बन जाती हैं जब विवाह से सम्बंधित नियम और कानून खुद चुनौतीपूर्ण हों और उनकी अमलबजयागी ढीली हो.

मिश्र विवाह करने वाले जोड़ों को तो सबसे बड़ी चुनौती खुद उनके माँ-बाप से होती है. अपनी व्यस्क औलाद को, उसकी पसंद के साथी से विवाह से रोकने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं. ज़्यादातर वो अपनी बेटी के खिलाफ़ शारीरिक और मानसिक अत्याचार करते हैं या उसे घर में नज़रबंद कर देते हैं. नतीजतन इस तरह से एक महिला अपने फ़ोन, कंप्यूटर, नौकरी और शिक्षा से महरूम कर दी जाती हैं.

यकीनन यह एक तरह की चरेलू हिंसा है. पर अपनी परवरिश या बड़ों को जवाब न देने की सोंच के चलते वह महिला खामोश रहना चुनती है. बल्कि वह अपने माता-पिता के साथ एक सौहार्दपूर्ण रिश्ता बनाए रखना चाहती है. धनक से मदद की उम्मीद करने वाली महिलाएं चाहती हैं की उनके मान-बाप को बात कर के समझाया जाये और उसके साथी के साथ विवाह के लिए मना लिया जाये.

Purpose:

To form a team which consists of parents and sympathizers who wish to form a society based on human values. The purpose of the group being, willing to meet with the parents to motivate them for the marriage of their daughter, as per her choice.

Glimpses of the discussion to understand the efficacy of such a group and to discuss the methods of intervention.